BREAKING NEWS

देश

विदेश

क्रिकेट

Sunday, February 12, 2017

अंधविश्‍वास पर विश्‍वास: आखिर पिछले 28 वर्षों से कोई भी CM नोएडा जाने से क्‍यों हिचकते हैं?

नई दिल्‍ली: चुनाव आते ही नेताओं के अंधविश्‍वास पर विश्वास की खबरें भी सुर्खियों में आने लगती हैं. मसलन यूपी से सटे नोएडा में पिछले 28 साल से राज्‍य के मुख्‍यमंत्री नोएडा नहीं जाते. नोएडा के सारे उद्घाटन लखनऊ से करते हैं. 1989 में एनडी तिवारी गए, उसके बाद उनकी कुर्सी चली गई. इसी वहम की वजह से राजनाथ सिंह ने 2001 में नोएडा फ्लाईओवर का उद्घाटन दिल्‍ली छोर से किया. 2006 में मुलायम सिंह के मुख्‍यमंत्री रहते निठारी कांड हुआ...आंदोलन हुआ. सरकार हिल गई लेकिन नोएडा नहीं गए. 2011 में मायावती नोएडा गईं तो 2012 में चुनाव हारकर सत्‍ता से बाहर हो गईं.


इसी वहम की वजह से ही अबकी बार अखिलेश यादव ने पहले चरण के बजाय पांचवें चरण से चुनाव प्रचार शुरू किया. लिहाजा सुल्‍तानपुर से मंगलवार के दिन उन्‍होंने चुनावी अभियान का आगाज किया. हालांकि पहले चरण में चुनाव पश्चिमी यूपी में होने थे लेकिन ज्‍योतिष के 'दिशा शूल' नियम के मुताबिक मंगलवार को शुभ काम के लिए पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करते. ये भी कहा जाता है कि 2012 में यहीं से प्रचार शुरू कर अखिलेश सत्‍ता में आए. लिहाजा मंगलवार को अपनी पहली चुनावी रैली यहीं की. भले ही चुनाव यहां पांचवें चरण में हो.

इसी तरह कुछ समय पहले लखनऊ में बीजेपी दफ्तर में एक बहुत पुराना पेड़ आंधी में गिर गया तो लोग खुश हुए. ऐसा वहम था कि पेड़ की वजह से सामने विधानसभा नहीं दिखती इसलिए पार्टी पिछड़ी है. कांग्रेस दफ्तर को लेकर वहम है कि वहां जो अध्‍यक्ष पुताई कराता है उसकी कुर्सी चली जाती है. 1992 में महावीर प्रसाद, 1995 में एनडी तिवारी, 1998 में सलमान खुर्शीद और 2012 में रीता जोशी सब पुताई के बाद ही हटे थे. वहम की वजह से कांग्रेस दफ्तर में अशोक के पेड़ बड़े होते ही काट देते हैं. इस संबंध में यहां के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि अशोक का पेड़ अगर बिल्डिंग की छत से ऊंचा हो जाए तो ये बहुत अपशकुन माना जाता है.

इसी तरह चित्‍तू पांडे ने जंगे आजादी लड़ी और बलिया को अंग्रेजों से आजाद कराकर वहां जनता की सरकार बना दी थी. लेकिन वहम है कि जो नेता उनकी मूर्ति को माला पहनाएगा उसकी कुर्सी जाएगी. इंदिरा गांधी ने मूर्ति का अनावरण किया तो मारी गईं...राजीव गांधी ने मूर्ति को माला पहनाई तो उनकी हत्‍या हुई. जैल सिंह ने माला पहनाई तो उन्‍हें दिल का दौरा पड़ा. इस मामले में बलिया के स्‍थानीय लोगों का कहना है कि बच्‍चे-बच्‍चे की चित्‍तू पांडे में अपार श्रद्धा है लेकिन अंधविश्‍वास के कारण कोई उधर से नामांकन करने के लिए नहीं जाता. कोई राजनीतिक दल अपनी पार्टी का कार्यक्रम वहां नहीं करता क्‍योंकि शुभ कार्य करते समय लोग उधर से आना-जाना पसंद नहीं करते.

वर्ल्ड कप : चाहे ब्लाइंड हो या सामान्य क्रिकेट, टीम इंडिया ने पाकिस्तान को हर जगह है धोया...

नई दिल्ली: भारतीय टीम फिर ब्‍लाइंड टी20 वर्ल्‍डकप चैंपियन बन गई है. भारतीय टीम ने रविवार को यहां फाइनल मुकाबले में चिरपरिचित प्रतिद्वंद्वी पाकिस्‍तान को 9 विकेट से धो दिया. पाकिस्‍तानी टीम ने पहले बल्‍लेबाजी करते हुए भारत को जीत के लिए 198 रन रन लक्ष्‍य दिया, जिसे टीम ने महज एक विकेट खोकर हासिल कर लिया. भारत की ओर से ओपनर बल्लेबाज प्रकाश जयरमैया ने नाबाद 99 रन और अजय कुमार ने 43 रन की पारी खेली. केतन पटेल ने भी महत्वपूर्ण 26 रनों का योगदान दिया. क्रिकेट के दो सबसे बड़े चिर प्रतिद्वंद्वी भारत-पाकिस्तान के बीच कई मुकाबले हुए हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि चाहे टी-20 फॉरमैट का वर्ल्ड कप हो, या एक-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों का वर्ल्ड कप, पाकिस्तान कभी भी टीम इंडिया को हरा नहीं पाया है, भले ही मैच किसी भी स्तर पर खेला गया हो. केवल ब्लाइंड वर्ल्प कप के 50 ओवर के संस्करण में केवल एक बार ऐसा मौका आया जब पाकिस्तान को भारत पर जीत मिली. तीसरे ब्लाइंड वर्ल्ड कप 2006 में भारत को हार का सामना करना पड़ा था.

दोनों टीमें अब तक कुल छह बार एक-दूसरे से वनडे वर्ल्ड कप में भिड़ी हैं. भारत और पाकिस्तान वर्ल्ड कप में 2015, 2011, 2003, 1999, 1996, 1992 में एक दूसरे के सामने आए लेकिन शिकस्त पाक को मिली.

ब्लाइंड वर्ल्ड कप 2012-13 में भी पाकिस्तान को हराया
भारतीय टीम ने वर्ष 2012 में भी ब्‍लाइंड टी20 वर्ल्‍डकप में पाकिस्तान को धूल चटाई थी. तब टीम ने 29 रन से जीत हासिल की थी. मैच के हीरो रहे थे केतन पटेल जिन्होंने महज 43 गेंदों 98 रनों की तूफानी पारी खेली थी. भारतीय टीम ने पाकिस्तान के सामने 259 रनों का लक्ष्य रखा था. जवाब में पाकिस्तान की पूरी टीम 229 रनों पर सिमट गई थी.

2003 वर्ल्ड कप, सचिन ने की थी वकार युनूस की धुनाई
सेंचुरियन में 2003 वर्ल्ड कप के एक लीग मैच में पाकिस्तान ने सईद अनवर के शतक के बदौलत 273 का स्कोर खड़ा किया था. बाद में टीम इंडिया की ओर से मास्टर ब्लास्टर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने शोएब अख्तर और वकार युनूस की जमकर खबर ली. सचिन ने 98 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली. भारत ने 4 ओवर बाकी रहते हुए लक्ष्य हासिल कर लिया.

2011 वर्ल्ड कप का सेमीफाइल
2011 का वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल भारत और पाकिस्तान के प्रशंसकों के लिए फाइनल से कम नहीं थी. मोहाली में खेले गए इस हाई वोल्टेज मुकाबले में टीम इंडिया ने पहले खेलते हुए 260 रन बनाए थे. भारतीय गेंदबाजों ने पाक टीम को 231 पर ऑल आउट कर मैच जीत लिया था. जहीर, नेहरा, मुनाफ, हरभजन और युवराज ने 2-2 विकेट लिए थे, जबकि सचिन 85 रनों की जुझारू पारी खेली थी.

वर्ष 1999 में सुपर सिक्स में दी मात
वर्ष 1999 के वर्ल्ड कप के दौरान सुपर सिक्स दौर में दोनों टीमें एक दूसरे के सामने आई थीं, जिसमें 'मैन ऑफ द मैच' रहे वेंकटेश प्रसाद की घातक गेंदबाजी की मदद से भारत ने 47 रन से पाक को हराया था. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए राहुल द्रविड़ के 61 और मोहम्मद अज़हरुद्दीन के 59 रनों के अलावा सचिन तेंदुलकर के 45 रनों की मदद से छह विकेट के नुकसान पर 227 रन का स्कोर खड़ा किया. जवाब में पाकिस्तान 45.3 ओवर में कुल 180 रन के कुल योग पर ऑल आउट हो गया.

Hug Day: जाननी है उनके दिल की बात, तो आज उन्हें जरूर दें जादू की झप्पी

जनाब, जिस किसी ने भी वैलेंटाइन वीक का शेड्यूल तैयार किया है, काफी सोच समझकर सभी सातों दिन की ऑडरिंग की है. गुलाब, चॉकलेट और टेडी बियर देकर तो हम अपने प्यार का इजहार ही कर सकते हैं. लेकिन सामने वाले के दिल में क्या है इसे परखने का सही वक्त तो आज ‘हग डे’ पर आया है.


किसी को दिलासा देना हो, रोमांस करना हो या फिर बॉन्डिंग बढ़ानी हो, तो हम एक दूसरे को गले से लगाते हैं. जाहिर तौर पर दो दोस्तों के गले मिलने का तरीका दो प्रेमियों की तरह नहीं हो सकता. आसान लफ्जों में कहें, तो किसी के गले मिलने के तरीके से ही आप उनके दिल की बात भांप सकते हैं.

यानी आज ‘हग डे’ पर मौके पर चौका मारिए और गले लगाने के तरीके से जान लीजिए कि आखिर ‘उनके’ दिल में क्या है.

बीयर हग: जब दो लोग गले मिलने के क्रम में एक दूसरे को बॉडीलॉक कर लें, तो उसे बीयर हग कहते हैं. ऐसा वो करते हैं जो एक दूसरे के दिल के बेहद करीब होते हैं. तो अगर आपके गले लगते ही सामने वाला भी आपको मजबूती से अपनी ओर खींचे और गले से लगा ले, तो समझ लीजिए कि आग दोनों तरफ बराबर की लगी है.

रिवर्स हग: अगर कोई पीछे से आकर आपकी कमर को अपनी बांहों में समेटे और अपना सिर आपके गले पर रखे तो इसे रिवर्स हग कहते हैं. वेल, ये प्यार जताने का सबसे रोमांटिक तरीका है. अगर आपके ऐसा करने पर सामने वाला आपकी हाथों पर अपना हाथ रखे और पीछे की तरफ देख कर मुस्कुराए तो मतलब साफ है कि वो भी आपमें दिलचस्पी रखता है और आपके ऐसा करने पर वो असहज महसूस नहीं करता.

टैकल हग: जब कोई दूर से दौड़ लगाते हुए आए और आपको अपनी बांहों में समेट ले (कुछ इस तरह कि उसकी स्पीड की वजह से आप गिरे नहीं) तो वैज्ञानिक भाषा में इसे टैकलिंग कहते हैं और गले लगाने का ये अंदाज टैकल हग कहलाता है. आमतौर पर हम ऐसा प्यार उससे जताते हैं जिनपर हमें इतना भरोसा होता है कि वो हमें जमीन पर धड़ाम नहीं होने देगा, जो इतना मजबूत है कि हमें संभाल ले. ऐसी हरकत दोस्तों के बीच आम है. या फिर उनके बीच भी जो एक दूसरे को अपना ‘सोल मेट’ मानते हैं.

वन आर्म्ड हग: एक इंसान जब दूसरे इंसान के गले में बांहें डाल उसे अपनी ओर खींचे ओर गले से लगाए, तो इसे वन आर्म्ड हग कहते हैं. सेलेब्रिटीज को ऐसा करते आपने अक्सर देखा होगा. यानी ये गले लगाने का सबसे फॉर्मल तरीका है. इसलिए अगर आप सामने वाले को गले लगाने के लिए अप्रोच करें और सामने वाला आपको कुछ इस अंदाज में जवाब दे, तो समझ लीजिए उसे आपमें भावनात्मक तौर पर कोई इंट्रेस्ट नहीं है.

पिटी पैटी हग: अगर आपने किसी को गले से लगाया और सामने वाला आपकी पीट को सहलाए तो इसका मतलब ये कि वो आपके साथ इस पल को इंज्वॉय कर रहा है. लेकिन अगर वो आपकी पीठ पर थपकी दे, तो मान लीजिए कि उसे ये सबकुछ अच्छा नहीं लग रहा और वो इसे जल्द से जल्द खत्म करना चाहता है.

तो पास जाओ...गले से लगा लो...
हैप्पी हग डे!

इंडियन आयल (IOCL) में ट्रेड अपरेंटिस पदों पर भर्ती, 26 फरवरी तक करें आवेदन

इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड (Indian Oil Corporation Limited - IOCL) ने ट्रेड अपरेंटिस के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किया है. इच्छुक और योग्य अभ्यर्थी 26 फरवरी, 2017 तक आवेदन कर सकते हैं.


पदों का विवरण: कुल पद 84

क्र.सं. पद रिक्तियां
1 ट्रेड अपरेंटिस/ अटेंडेंट ऑपरेटर 20 पद
2 तकनीशियन अपरेंटिस-फिटर- मैकेनिकल 20 पद
3 तकनीशियन अपरेंटिस- केमिकल 19 पद
4 तकनीशियन अपरेंटिस- मैकेनिकल 4 पद
5 तकनीशियन अपरेंटिस इलेक्ट्रिकल 18 पद
6 तकनीशियन अपरेंटिस- इंस्ट्रूमेंटेशन 3 पद

शैक्षणिक योग्यता:
इन पदों पर भर्ती के लिए आवेदन करने वाले आवेदक के पास देश के किसी भी बोर्ड, विश्वविद्यालय या संस्थान से 10वीं/ आईटीआई/ डिप्लोमा/ ग्रेजुएशन डिग्री होनी चाहिए.

आयु सीमा:
इन पदों पर आवेदन के लिए आवेदक की न्यूनतम उम्र 18 और अधिकतम उम्र 24 वर्ष निर्धारित की गई है.

चयन प्रक्रिया:
इन पदों के लिए योग्य अभ्यर्थियों का चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन और मेधा सूची के आधार पर किया जाएगा.

ऐसे करें आवेदन:
इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड (Indian Oil Corporation Limited - IOCL) में उपर्युक्त पदों पर आवेदन करने के इच्छुक अभ्यर्थी अभ्यर्थी IOCL की वेबसाइट www.iocl.com लॉग इन कर 26 फरवरी, 2017 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. विस्तृत अधिसूचना और अन्य जानकारियों और के लिए 

मैथ को एन्‍जॉय करने वाले बच्‍चे निकलते हैं आगे, पाते हैं उच्च शैक्षणिक उपलब्धियां

बर्लिन: वैज्ञानिकों ने अपने एक शोध में पाया है कि गणित के अध्ययन में रूचि रखने वाले और इसमें बेहतर अंक पाने वाले बच्चे उच्च शैक्षणिक उपलब्धियां हासिल करते हैं. वैज्ञानिकों ने अपने शोध में यह भी पाया कि गणित अध्ययन में सकारात्मक भावनाएं और सफलता एक दूसरे को परस्पर सुदृढ़ करती हैं.


वैज्ञानिकों ने पाया कि छात्रों की सीखने की प्रवृत्ति और ज्ञान संबंधी प्रदर्शन पढ़ाई के दौरान खुशी, चिंता और बोरियत जैसी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से प्रभावित होती हैं.

जर्मनी के म्युनिख में लुडविग-मैक्सिमिलियंस-यूनीवर्सिटैट (एलएमयू) में शोधकर्ताओं ने पाया कि स्कूल के संदर्भ में छात्रों की भावनाएं उनकी उपलब्धि से जुड़ी होती हैं.

यह अध्ययन गणित में उपलब्धि पर केंद्रित था जो ना केवल शिक्षा एवं आर्थिक उत्पादकता के लिये अहम है बल्कि इसे छात्रों में त्वरित दृढ़ भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के लिये भी जाना जाता है.

एलएमयू म्युनिख और ऑस्ट्रेलियन कैथोलिक यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर रीनहार्ड पेकरून ने कहा कि हमने पाया कि वर्ष दर वर्ष भावनाएं छात्रों की गणित उपलब्धि को प्रभावित करती हैं.

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले पेकरून ने कहा कि ना केवल अधिक कुशाग्र छात्र बेहतर ग्रेड तथा परीक्षा में अच्छे अंक पाते हैं बल्कि जिन छात्रों को गणित के अध्ययन में रूचि रहती है वे भी बेहतर उपलब्धि पाते हैं.

उन्होंने कहा कि गुस्सा, चिंता, शर्म, बोरियत या नाउम्मीदी रखने वाले छात्रों को कम सफलता मिलती है. यह शोध प्रोजेक्ट फॉर एनलालिसिस ऑफ लर्निंग एंड अचीवमेंट इन मैथेमेटिक्स (पीएएलएमए) के तहत किया गया था. एलएमयू की स्टीफेनी लीशटेनफेल्ड ने कहा कि गणित में सफल प्रदर्शन करने वाले छात्रों की भावनाएं सकारात्मक होती हैं.

भारतीय नेताओं की शान 'एम्बैसडर' को मिला नया मालिक

प्रसिद्ध एम्बैसडर ब्रांड को पॉइजोट के रूप में नया मालिक मिल गया है. यह ब्रांड सत्ता के गलियारे में अपनी पहचान रखता है. हिंदुस्तान मोटर्स ने इस ब्रांड को यूरोपीय वाहन कंपनी पॉइजोट को 80 करोड़ रुपए में बेच दिया है.

सीके बिड़ला समूह की कंपनी ने इस बारे में पॉइजोट एसए के साथ करार किया है. फिलहाल एम्बैसडर कारों का विनिर्माण रोक दिया गया है.

हिंदुस्तान मोटर्स ने शनिवार को शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा, 'हिंदुस्तान मोटर्स ने एम्बैसडर ब्रांड की बिक्री के लिए पॉइजोट एसए से करार किया है. इसमें ट्रेडमार्क भी शामिल है. यह सौदा 80 करोड़ रुपए में हुआ है.'

प्रसिद्ध एम्बैसडर ब्रांड को पॉइजोट के रूप में नया मालिक मिल गया है. यह ब्रांड सत्ता के गलियारे में अपनी पहचान रखता है. हिंदुस्तान मोटर्स ने इस ब्रांड को यूरोपीय वाहन कंपनी पॉइजोट को 80 करोड़ रुपए में बेच दिया है.

मालूम हो कि पिछले महीने पीएसए समूह ने भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए सीके बिड़ला समूह के साथ डील की थी, जिसके तहत शुरुआत में करीब 700 करोड़ रुपये का निवेश किया जाना है.

इस राशि से तमिलनाडु में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया जाएगा. इस प्लांट में हर साल एक लाख वाहन बनाने की क्षमता होगी.

पीएसए समूह तीन ब्रांड प्यूजो, सिट्रॉन और डीएस के तहत वाहनों की बिक्री करता है. यह समूह पहले प्रीमियर समूह के साथ भारत में साझेदारी कर चुका है. हालांकि 2001 में दोनों कंपनियों का ज्याइंट वेंचर प्यूजो पीएएल खत्म हो गया था. इसके बाद भी पीएसए ने भारतीय बाजार में प्रवेश करने की नाकाम कोशिश की थी.

प्यूजो एसए और सीके बिड़ला समूह मिलकर इंडियन ऑटो मार्केंट में अपनी दबदबा बनाना चाहते हैं. अनुमान है कि साल 2025 तक भारत में 80 लाख से एक करोड़ कार बनने लगेंगे. साल 2016 में यह आंकड़ा 30 लाख के करीब है.

सैमसंग गैलेक्सी सी9 प्रो बनाम मोटो ज़ेड बनाम वनप्लस 3टीः आपके लिए कौन है बेहतर

सैमसंग गैलेक्सी सी9 प्रो की प्री-ऑर्डर बुकिंग भारत में शुरू हो गई है। भारत में इस स्मार्टफोन की कीमत 36,900 रुपये है और यह प्री-ऑर्डर बुकिंग के लिए 12 फरवरी तक उपलब्ध होगा। इसके बाद ही ग्राहकों को हैंडसेट दिया जाएगा। सैमसंग गैलेक्सी सी9 प्रो कंपनी का पहला स्मार्टफोन है जो 6 जीबी रैम के साथ आता है और इसे जनवरी महीने में पेश किया गया था।


कागज़ी तौर पर कहा जा सकता है कि यह एक बेहतरीन हैंडसेट है और इसकी भिड़ंत इस प्राइस रेंज के चुनिंदा फोन से होगी। भारतीय मार्केट के लिहाज से इसके प्रतिद्वंद्वी वनप्लस 3टी और मोटो ज़ेड स्मार्टफोन हैं। हम आपके लिए इन तीनों फोन की तुलना कर रहे हैं।

कीमत, उपलब्धता और रंग
कीमत की बात करें तो 36,900 रुपये वाला सैमसंग गैलेक्सी सी9 प्रो बीच की कड़ी है। वनप्लस 3टी का सबसे प्रीमियम वेरिएंट (128 जीबी) 34,999 रुपये का है। पिछले साल अक्टूबर महीने में लॉन्च किया गया मोटो ज़ेड 39,999 रुपये के दाम में सबसे महंगा है। सैमसंग फोन अभी प्री-ऑर्डर बुकिंग के लिए उपलब्ध है। कंपनी इसे 12 फरवरी से मार्केट में उपलब्ध कराना शुरू करेगी। मोटो ज़ेड स्मार्टफोन फ्लिपकार्ट और अमेज़न पर उपलब्ध है। वहीं, वनप्लस एक्सक्लूसिव तौर पर ई-कॉमर्स साइट अमेज़न इंडिया पर मिल रहा है। कलर वेरिएंट की बात करें तो वनप्लस 3टी 128 जीबी गनमेटल कलर में उपलब्ध है। मोटो ज़ेड ब्लैक व व्हाइट कलर में और सैमसंग गैलेक्सी सी9 प्रो ब्लैक व गोल्ड कलर में मिलेगा।

डिज़ाइन, स्पेसिफिकेशन
सैमसंग गैलेक्सी सी9 प्रो और वनप्लस 3टी में मेटल बिल्ड का इस्तेमाल हुआ है। मोटो ज़ेड में ग्लास बैक और एक मेटल फ्रेम भी दिया गया है। तीनों ही फोन फिंगरप्रिंट सेंसर के साथ आते हैं और ये फ्रंट पैनल पर होम बटन के नीचे मौज़ूद हैं। बैकपैनल पर कैमरा तीनों फोन के टॉप सेंटर में मौज़ूद है।

स्पेसिफिकेशन की बात करें तो मोटोरोला मोटो ज़ेड 5.19 मिलीमीटर की मोटाई के साथ सबसे पतला है। वहीं, 7.35 मिलीमीटर वाला वनप्लस 3टी सबसे मोटा है। 189 ग्राम वाला सैमसंग गैलेक्सी सी9 प्रो सबसे वज़नदार है, जबकि 136 ग्राम के साथ मोटो ज़ेड सबसे हल्का। सैमसंग के डिवाइस में आपको 6 इंच का फुल-एचडी डिस्प्ले मिलेगा। वहीं, बाकी दोनों में 5.5 इंच के स्क्रीन हैं। मोटो ज़ेड हैंडसेट में क्वाड एचडी स्क्रीन है। वनप्लस 3टी में स्नैपड्रैगन 821 प्रोसेसर है, मोटो ज़ेड में स्नैपड्रैगन 820 प्रोसेसर और सैमसंग सी9 प्रो में स्नैपड्रैगन 653 प्रोसेसर। सैमसंग और वनप्लस के स्मार्टफोन 6 जीबी रैम के साथ आते हैं। वहीं, मोटोरोला में सिर्फ 4 जीबी रैम है।

स्टोरेज के लिहाज से बताएं तो वनप्लस 3टी (रिव्यू) का 128 जीबी वेरिएंट 34,999 रुपये का है। वहीं, बाकी दोनों फोन 64 जीबी की सर्वाधिक स्टोरेज के साथ आते हैं। हालांकि, वनप्लस के डिवाइस में आपके पास स्टोरेज बढ़ाने की सुविधा नहीं है, जबकि बाकी दोनों  में आपके पास माइक्रोएसडी कार्ड स्लॉट हैं। सैमसंग और वनप्लस के हैंडसेट में 16 मेगापिक्सल के फ्रंट और रियर कैमरे हैं। वहीं, मोटोरोला के हैंडसेट में 13 मेगापिक्सल का रियर और 5 मेगापिक्सल का फ्रंट सेंसर है। तीनों ही फोन एलटीई, डुअल सिम सपोर्ट के साथ आते हैं और एंड्रॉयड 6.0 मार्शमैलो पर चलते हैं। बैटरी विभाग में सैमसंग 4000 एमएएच की बैटरी के साथ सबसे आगे है। वनप्लस 3टी में 3400 एमएएच की बैटरी है और मोटो ज़ेड (रिव्यू) में 2600 एमएएच की।

अन्य
सी9 प्रो की अहम खासियतों में 4000 एमएएच की बैटरी, 16 मेगापिक्सल का सेल्फी कैमरा और 6 जीबी रैम हैं। यह सैमसंग के पोर्टफोलियो में बिल्कुल फिट बैठता है। यह फोन उन यूज़र के लिए जो बहुत ज़्यादा पैसे नहीं खर्चकर फ्लैगशिप डिवाइस वाले फ़ीचर चाहते हैं। हालांकि, वनप्लस 3टी के स्पेसिफिकेशन सैमसंग के बराबर के हैं और कुछ मामलों में तो बेहतर भी, और इसकी कीमत भी कम है। अगर आप पैसावसूल वाली सोच रखते हैं तो वनप्लस 3टी एक अच्छा विकल्प है। हालांकि, यह अकसर ही अमेज़न पर उपलब्ध नहीं होता है। ऐसे में सैमसंग गैलेक्सी सी9 प्रो महंगा होने के बावजूद अच्छा विकल्प है। दूसरी तरफ, अगर आप मोटो मॉड्स इस्तेमाल करने का शौक रखते हैं तो मोटो ज़ेड आपकी पसंद होनी चाहिए।
 
Copyright © 2016 - 2017 | 24x7 Samachar Vikas Kumar Raghav