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Sunday, February 12, 2017

कोर्ट में जजों ने गाया गाना तो कई जोड़ों ने तलाक के फैसले को लिया वापस

खंडवा: फिल्म से लेकर रियल लाइफ में अक्सर जज गंभीर और सख्त दिखते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के लोक अदालत में उनका बेहद अलग ही अंदाज देखने को मिला. यहां तलाक के एक मामलों की सुनवाई के दौरान जजों ने मिलकर गाना गया, जिसके बाद कई जोड़ों ने अलग होने के फैसले को वापस ले लिया. जज के गाना गाने से कई परिवार टूटने से बच गए.


न्यूज18 के मुताबिक खंडवा जिले में नेशनल लोक अदालत लगाया गया था, जहां तलाक के कई मामलों की सुनवाई होनी थी. सभी मामलों की सुनवाई खंडवा के डीजे और कुटुंब न्यायालय एके सिंह के जज को करनी थी. इतने सारे परिवारों को टूटने का आदेश देना जजों को अच्छा नहीं लग रहा था.

मामलों की सुनवाई से पहले जजों ने सभी जोड़ों से कहा कि वे अपने तलाक के फैसले पर एक बार फिर से सोच लें. उन्होंने सभी पति-पत्नियों से कहा कि वे अलग होने से पहले आपस में एक बार फिर से बात कर लें, हो सकता है आपसी बातचीत से तलाक का फैसला टल जाए.

इस दौरान जजों ने जोड़ों को तलाक के नुकसान के बारे में भी बताया. साथ ही अगर वे प्यार से साथ रहेंगे तो इसके क्या फायदे हैं, ये भी समझाया. जजों के इतना कुछ कहने के बाद भी कई जोड़ों के बीच कोर्ट में ही आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए. इस माहौल को रोमांटिक बनाने के लिए जज रिश्तों और प्यार को बयां करने वाले गाने गुनगुनाने लगे. जजों को ऐसा करते देख तलाक लेने आए जोड़ों का दिल पसीज गया और उन्होंने तलाक लेने के फैसले को वापस ले लिया.

कोर्ट में जजों के आदेश पर वरमालाएं मंगवाई गईं. सभी जोड़ों ने एक दूसरे को वरमालाएं पहनाईं और राजी-खुशी जीवन बिताने का वादा कर घर लौट गए. परिवारों को टूटने से बचाने के लिए जजों की ओर से किए गए इस प्रयास की हर तरफ सराहना हो रही है. 

Friday, September 16, 2016

ब्रिटेन में महारानी विक्टोरिया की शादी के केक का टुकड़ा 1,500 पौंड में बिका

लंदन: महारानी विक्टोरिया की शादी के केक का एक टुकड़ा यहां एक नीलामी में 1,500 पौंड में बिका. केक का यह टुकड़ा 19वीं सदी का था. महारानी विक्टोरिया ने 1840 में राजकुमार अल्बर्ट से शादी की थी. यह केक तब का है. जर्सी के संग्रहक डेविड गेंसबरो रॉबर्ट्स ने केक का यह टुकड़ा बेचा.


केक के साथ एक उपहार बॉक्स भी बेचा गया, जिस पर 'द क्वींस ब्राइडल केक बकिंघम पैलेस, दस फरवरी, 1840' लिखा हुआ था. शाही मुहर के साथ महारानी विक्टोरिया के हस्ताक्षर वाला एक कागज भी बेचा गया.

बीबीसी की खबर के अनुसार नीलामी करने वाली कंपनी क्रिस्टीज ने लंदन में नीलामी की. इसमें राजशाही का छोटा-मोटा सामान, टाइटेनिक जहाज की चाबियां और विंस्टन चर्चिल का हैट भी बेचे गए. महारानी विक्टोरिया के अंत:वस्त्र भी 16,250 पौंड में बेचे गए.

रॉबर्ट्स की आयु इस समय 70 वर्ष से अधिक है और उन्होंने अपना पूरा जीवन दुर्लभ वस्तुओं के संग्रहण में गुजारा है.

Wednesday, September 14, 2016

टीटीई ने 15 रुपये की रसीद नहीं दी, यात्री के ट्वीट के बाद बीच रास्ते में ही कर दिया गया सस्पेंड

जयपुर: एक टीटीई ने बाड़मेर से कालका जा रही ट्रेन के आरक्षित कोच में बिना आरक्षण के सफर कर रहे एक यात्री से 15 रुपये लिए, लेकिन इसकी रसीद नहीं दी. यात्री ने टीटीई की शिकायत को ट्वीट किया और ट्रेन के मेड़ता पहुंचते ही डीआरएम ने टीटीई को निलंबन का आदेश थमा दिया.


जोधपुर डीआरएम राहुल गोयल ने बताया कि गत शनिवार बाड़मेर से कालका जा रही ट्रेन के एक आरक्षित कोच में टीटीई बिना वैध टिकट पाए जाने वाले यात्रियों से 15-15 रुपये ले रहा था, लेकिन उसकी रसीद नहीं दी. एक यात्री ने रसीद की मांग की, लेकिन टीटीई ने रसीद नहीं दी. यात्री ने इसकी शिकायत ट्वीट की.

शिकायत की जांच विजिलेंस को सौंपी गई. विजिलेंस दल ने ट्रेन के मेड़ता पंहुचते ही टीटीई श्याम लाल को ट्रेन से उतार कर जांच की. जांच रिपोर्ट में शिकायत सही पाई गई और टीटीई के पास करीब एक हजार रुपये अधिक मिले, जिसके बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. डीआरएम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए टीटीई को मेड़ता में ही निलंबन का आदेश थमा दिया.

भारतीय मूल के इंजीनियर ने टुक-टुक पर किया 10 हजार किलोमीटर का सफर, जानिए क्यों

लंदन: भारतीय मूल के एक इंजीनियर ने सौर ऊर्जा से चलित अपने टुक-टुक से करीब 10 हजार किलोमीटर (6200 मील) का सफर पूरा किया. सात महीने का सफर पूरा करके वह सोमवार को ब्रिटेन पहुंचा. भारत में जन्मे नवीन ने ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता ले ली है, वहां वह ऑटोमोटिव इंजीनियर हैं.


नवीन रबेली इस साल फरवरी में भारत निकले थे और वह इंग्लैंड के डॉवर नामक कस्बे में तय समय से पांच दिन पहले ही पहुंच गए क्योंकि फ्रांस में किसी ने उनका पासपोर्ट और पर्स चुरा लिया. इसके बाद उन्हें एमरजेंसी पासपोर्ट दिया गया. नवीन का कहना है कि उनका यह सफर बेहद मजेदार रहा. लेकिन जब वह पेरिस पहुंचे तो कुछ लोगों ने उनका सामान चुरा लिया.

द गार्जियन से बातचीत में नवीन ने बताया, "सफर के दौरान स्थानीय लोगों ने मेरी बहुत मदद की. लोगों को टुक-टुक काफी पसंद आया, खासकर ईरान जैसे देशों में. लोग आते थे और इसके साथ सेल्फी लेते थे. जब मैं उन्हें बताता कि यह बिना पेट्रोल के चलती है तो लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे."

अपनी टुक-टुक के साथ फोटो के लिए पोज़ देते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश बॉर्डर के अधिकारियों ने उनकी टुक-टुक की अच्छी तरह से तलाशी ली, क्योंकि वह सात महीनों से सफर कर रहे थे और उनके  पास एमरजेंसी पासपोर्ट था. अपनी टुक-टुक को उन्होंने खुद ही मोडिफाई किया है. इसमें एक बिस्तर, साथ सफर करने वाले के लिए बैठने की जगह, एक आलमारी और सौर ऊर्जा से चलने वाले कुकर उन्होंने फिट किया है.

क्यों कर रहे सफर
नवीन चाहते हैं कि लोग बिजली और सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के बारे में जानें क्योंकि ये यातायात के सस्तो विकल्प बन सकते हैं. वह कहते हैं कि फ्यूल से चलने वाली टुक-टुक को सौर ऊर्जा से चलने वाली टुक-टुक में परिवर्तित करने का ख्याल उन्हें तब आया जब वह अपने एक दोस्त
के साथ एक ट्रैफिक जाम में फंस गए थे और उनके चारों तरफ बड़ी संख्या मे तेज आवाज करने वाले और प्रदूषण फैलाने वाले टुक-टुक थे.

भारत से अपने सफर की शुरुआत करने बाद वह ईरान, तुर्क, बुल्गारिया, सर्बिया, ऑस्ट्रिया, स्विटजरलैंड, जर्मनी और फ्रांस होते हुए इंग्लैंड पहुंचे.
 
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