BREAKING NEWS
Showing posts with label फूड एंड फिटनेस. Show all posts
Showing posts with label फूड एंड फिटनेस. Show all posts

Friday, September 16, 2016

हेल्दी फूड खाने वाले बच्चे पढ़ाई में होते हैं अच्छे

लंदन: फिनलैंड में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि बच्चों के स्कूल जाने के शुरुआती तीन सालों में स्वस्थ आहार देने से उनमें पढ़ने का बेहतरीन कौशल विकसित होता है। इस अध्ययन में छह से आठ साल तक के 161 बच्चों को शामिल किया गया और उनके आहार की गुणवत्ता का विश्लेषण फूड डायरी एवं उनके शैक्षिक कौशल का विश्लेषण मानकीकृत परीक्षणों की मदद से किया गया।


'यूूरोपीय जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन' में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, जिन बच्चों ने अपने आहार में खूब सब्जियों, फलों, जामुन, साबूत अनाज, मछली, असंतृप्त वसा और कम मीठे उत्पादों को शामिल किया, उन्होंने पढ़ने का कौशल मापने वाले परीक्षण में कम गुणवत्ता वाले आहार लेने वाले अपने साथियों की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन किया।

इस अध्ययन में यह भी पता चला कि कक्षा दो व कक्षा तीन में पढ़ने वाले बच्चों के पढ़ने के कौशल और कक्षा एक में पढ़ने वाले बच्चों के पढ़ने के कौशल से आहार गुणवत्ता का सकारात्मक संबंध आपस में नहीं था। इन परिणामों से यह संकेत मिलता है कि अच्छा आहार लेने वाले बच्चों ने पहली कक्षा से लेकर दूसरी और तीसरी कक्षा में पहुंचकर पढ़ने के अपने कौशल का अधिक विकास किया।

यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड की शोधकर्ता ईरो हापला ने कहा, "एक और महत्वपूर्ण अवलोकन में पाया गया कि पढ़ाई कौशल के साथ जुड़े आहार गुणवत्ता का संबंध दूसरे कई कारकों पर भी निर्भर है, जिसमें सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शारीरिक गतिविधि, शरीर में वसा की मात्रा और शारीरिक रूप से दुरुस्त होना आदि शामिल है।"

नेशनल न्यूट्रिशन काउंसिल की तरफ से पेश बाल्टिक सी और फिनिश न्यूट्रिशन आहार के बारे में सुझाव दिया गया कि सब्जियां, फल, जामुन, मछली, साबुत अनाज, असंतृप्त वसा, और कम मात्रा में रेड मीट, मीठा व संतृप्त वसा का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।

स्वस्थ आहार बच्चों के सीखने व शैक्षिक प्रदर्शन के लिए काफी महत्वपूर्ण कारक है।

हापला के अनुसार, बच्चों को स्वस्थ आहार उपलब्ध कराने में अभिभावकों और विद्यालयों के साथ-साथ सरकार और कंपनियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

Wednesday, September 14, 2016

बच्चों की सेहत के लिए है चीनी की इतनी मात्रा है जरूरी

लंदन: एक शोध में सामने आया है कि हर रोज बच्चे अपने लिए जरूरी चीनी की मात्रा से तीन गुना ज्यादा चीनी खा रहे हैं। यह सर्वेक्षण एक भारतीय मूल के शोधकर्ता ने किया है। 'डेली मेल' ने इम्पीरियल कॉलेज लंदन में प्रोफेसर नीना मोदी के हवाले से कहा, "इस सर्वेक्षण के नतीजे बहुत ही चिंताजनक है। ऐसे में जब दस साल के हर तीन बच्चों में से एक बच्चा मोटापे और ज्यादा वजन का शिकार हैं और पांच साल हर तीन बच्चों में से एक में दंतक्षय की समस्या है, ऐसे में चीनी सेवन से निपटने की विफलता से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है।"


यह सर्वेक्षण 1,288 वयस्क और 1,258 बच्चों पर किया गया, जिन्होंने तीन या चार रोज पूरा भोजन किया था।

अध्ययन में यह बात सामने आई कि चार से 10 साल के बच्चों, जिन्होंने 100 मिली मीठा पेय पदार्थ औसतन हर रोज पीया और चीनी अभी भी उनके रोजाना कैलोरी का खपत का 13 प्रतिशत है, उनमें यह निर्धारित की गई पांच प्रतिशत की मात्रा से दोगुनी थी।
x

इसी तरह 11 से 18 साल वालों के हर रोज के आहार में 15 प्रतिशत चीन वाली वस्तुएं शामिल रहीं जो उसकी निर्धारित मात्रा से तिगुनी थी। वयस्क 19 से 64 साल वालों में भी ज्यादा चीनी की खपत देखी गई उनके आहार में 12 प्रतिशत चीनी वाली वस्तुएं शामिल रहीं।

अध्ययन में यह भी देखा गया कि पांच साल उम्र वाले हर पांच में एक और 11 साल की उम्र वाले हर तीन में एक बच्चा मोटापे या ज्यादा वजन से पीड़ित है। चार से 10 साल के बच्चों में हर रोज के आहार का 13 प्रतिशत कैलोरी का भाग संतृप्त वसा से आता है।

अध्ययन बताता है कि ज्यादा वजन और मोटापे वाले बच्चे के आगे चलकर मोटापे और ज्यादा वजन वाले वयस्क में बदलने की संभावना है। इससे दिल के रोगों और टाइप-2 मधुमेह आदि का खतरा बढ़ जाता है।

तो ये है डेंगू का सबसे जानलेवा लक्षण, जानें रोकथाम के उपाय

नई दिल्ली: बारिश के मौसम में डेंगू एक बार फिर से राजधानी में डर और बेचैनी का माहौल पैदा कर रहा है, जिसे हल्का सा भी मौसमी बुखार आता है वो भी डेंगू की जांच करवाने के लिए अस्पताल की तरफ दौड़ पड़ता है। लेकिन बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है कि 99 प्रतिशत मामलों में घबराने की जरूरत नहीं होती। डेंगू के ज्यादातर मामलों में बचाव हो सकता है। इसके इलाज और रोकथाम के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि डेंगू बुखार मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है। यह चार किस्मों के डेंगू वायरस के संक्रमण से होती है, जो मादा ऐडीस मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू बुखार में तेज बुखार के साथ नाक बहना, खांसी, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों के दर्द और त्वचा पर हल्के रैश होते हैं। हालांकि कुछ बच्चों में लाल और सफेद निशानों के साथ पेट खराब, जी मिचलाना, उल्टी आदि हो सकता है। 


डेंगू के मरीजों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और काफी मात्रा में तरल आहार लेना चाहिए। बुखार या जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पैरासीटामोल ली जा सकती है, लेकिन एस्प्रिन या आईब्यूप्रोफेन नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे ब्लीडिंग का खतरा हो सकता है।
x

इसके गंभीर होने की संभावना केवल 1 प्रतिशत होती है और अगर लोगों को खतरे के संकेतों की जानकारी हो तो जान जाने से बचाई जा सकती है। अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की कोई आवश्यकता नहीं होती। अनुचित प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन नुकसान कर सकता है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, "डेंगू को रोका भी जा सकता है और इसका इलाज भी किया जा सकता है, इसलिए लोगों को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि केवल 1 प्रतिशत मामलों में यह जानलेवा साबित होता है।"

ये हैं इसके लक्षणल और उपाय
उन्होंने कहा कि प्लाज्मा लीकेज डेंगू का सबसे स्पष्ट और जानलेवा लक्षण है जो बीमारी होने के 3 से 7 दिनों के अंदर होता है। पेट में तेज दर्द, लगातार उल्टी आना, बेचैनी या सुस्ती, और तेजी से शरीर का तापमान कम हो तो यह खतरे की घंटी है, तुरंत छाती का एक्सरे-रेडियोग्राफी के साथ छाती और पेट का अल्ट्रासाउंड करवाकर प्लाज्मा लीकेज का पता करना चाहिए। रोकथाम के आवश्यक उपाय करके और उचित समय पर ध्यान देकर जान बचाई जा सकती है। सभी मरीजों को पानी खूब पीना चाहिए।

ऐसे में हो सकता है रिस्की
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अगर प्लाजमा लीकेज हो जाए तो वस्कुलर प्रिमिबिल्टी 24 से 48 घंटों में बनती है। अगर सहायक इलाज में देरी हो जाए तो प्लाज्मा लीकेज वाले मरीजों को शॉक हो सकता है और जान जाने का खतरा 12 प्रतिशत तक हो जाता है। प्लाज्मा लीकेज के बाद 60 प्रतिशत मरीजों में पेट दर्द की शिकायत पाई जाती है।

ये हैं गंभीर लक्षण
20 का मंत्र सभी को याद रखना चाहिए- नब्ज में 20 की बढ़ोतरी, बीपी में 20 की कमी, उच्च और निम्न बीपी में 20 से कम का अंतर हो और बाजू पर 20 से ज्यादा निशान हों तो ये गंभीर खतरे के लक्षण होते हैं और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

डेंगू को रोकने की जिम्मेदारी हम सब की है, न कि सिर्फ सरकार की, क्योंकि डेंगू मच्छर घरों के बाहर जमा पानी में पैदा होते हैं न कि गंदे पानी में।
 
Copyright © 2016 - 2017 | 24x7 Samachar Vikas Kumar Raghav